ना मैं संधि हूँ,
ना मैं विच्छेद हूँ,
ना मैं विधि हूँ,
ना ही मैं निषेध हूँ,मैं क्या जानूं,मैं हूँ कौन..!
ना मैं वेद हूँ,
ना मैं कुरान हूँ,
ना मैं स्थिर हूँ,
ना ही मैं गतिमान हूँ,मैं क्या जानूं,मैं हूँ कौन..!
ना मैं शु्ध हूँ,
ना मैं अशुद्ध हूँ,
ना मैं अमृत हूँ,
ना ही मैं विष हूँ,मैं क्या जानूं,मैं हूँ कौन..!
ना मैं जप हूँ,
ना मैं तप हूँ,
ना मैं आदि हूँ,
ना ही मैं अंत हूँ,मैं क्या जानूं,मैं हूँ कौन..!
ना मैं आस हूँ,
ना मैं विश्वास हूँ,
ना मैं संन्यास हूँ,
ना ही मैं तलाश हूँ,मैं क्या जानूं, मैं हूँ कौन..!
मैं क्या जानूं, मैं हूँ कौन..!
मैं क्या जानूं, मैं हूँ कौन..!