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"कर्मयोगी"

Friday, December 30, 2011

अक्सर



खुद की राहों में खो जाता हूँ,
खुद की छाँव में सो जाता हूँ,
होकर सबके बीच भी,
अक्सर कही गुम मै हो जाता हूँ...!!

Saturday, December 3, 2011

आज दुनिया है बस इतनी सी...!!!

चले आओ मेरी बाहों में,
समा जाओ इन भुजाओं में,
शर्मा के हो जाओ उतनी सी,
है जगह इनमे जितनी सी,
मान लो..
आज दुनिया है बस इतनी सी...!


खो जाओ मेरी आँखों में,
बस जाओ पलकों की छाँव में,
डूब के हो जाओ उतनी सी,
है गहरायी उनमे जितनी सी,
मान लो..
आज दुनिया है बस इतनी सी...!


रम जाओ मेरी यादों में,
घुल जाओ उन लम्हातों में,
रूठ के हो जाओ उतनी से,
है तन्हाई उनमे जितनी सी ,
मान लो..
आज दुनिया है बस इतनी सी...!

मान लो..
मान लो..
आज दुनिया है बस इतनी सी...!!!

Wednesday, November 30, 2011

प्यार




हमारी नफ़रत तो बरदाश्त करिये हुजूर, 
प्यार तो हम ताउम्र करेंगे.........!

हमपे कोई जुल्म न करिये हुजूर,
हम 
तब भी प्यार करेंगे, पर मर-मर के करेंगे........!!